राहुल-सोनिया के लिए अमेठी और रायबरेली छोड़ने वाली सपा-बसपा क्या प्रियंका के लिए वाराणसी भी छोड़ेगी!
उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट वाराणसी को लेकर पिछले कुछ दिनों से हो रही इस चर्चा को बल मिल रहा है कि कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं। प्रियंका के भाई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पति रॉबर्ट वाड्रा और कांग्रेस के थिंक टैंक माने जाने वाले सैम पित्रोदा भी इसकी संभावना जता चुके हैं। पूर्वांचल के चार संसदीय सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कांग्रेस ने कर दी, लेकिन वाराणसी सीट पर सस्पेंस बरकरार है
यहां से अबतक सपा-बसपा गठबंधन ने भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर प्रियंका वाराणसी से चुनाव लड़ीं तो क्या सपा-बसपा यह सीट वैसे ही खाली छोड़ेगी, जैसे कि राहुल गांधी के लिए अमेठी और सोनिया गांधी के लिए रायबरेली सीटें छोड़ी। 
वाराणसी सीट पर सबसे अंतिम चरण में यानि कि पूरे एक महीने बाद 19 मई को मतदान होना है। नामांकन 29 अप्रैल से शुरू होगा, जबकि नाम वापसी की आखिरी तारीख दो मई है। ऐसे में देखा जाए तो बहुत ज्यादा वक्त नहीं बच गया है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस की एक टीम पिछले कई दिनों से वाराणसी में जातीय और सियासी समीकरणों की टोह लेने में लगी हुई है। न केवल ब्राह्मण, बल्कि मुस्लिम और गंगा यात्रा के बाद निषाद बिरादरी को भी कांग्रेस अपने वोट बैंक में जोड़ कर देख रही है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इलाहाबाद और वाराणसी में आंतरिक सर्वे किया गया है ताकि कांग्रेस की मजबूती का आकलन किया जा सके। वाराणसी से 2004 में विजयी रहे राजेश मिश्रा को पड़ोसी सीट सलेमपुर से टिकट दिया गया है, हालांकि 2014 में अजय राय को टिकट दिया गया था और वह पीएम मोदी से हार गए थे। 
मीडिया और राजनीति पर रिसर्च कर रहे केंद्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के शोधार्थी निरंजन मानते हैं कि जिस तरह सक्रिय राजनीति में प्रियंका को काफी देर से लाया गया, उसी तरह कांग्रेस सारे समीकरणों को माप-तौल कर ही उनकी उम्मीदवारी पर फैसला लेगी।
बीएचयू में पढ़ाई कर चुके एक अन्य मीडिया शोधार्थी और कांग्रेस कार्यकर्ता स्नेहाशीष सम्राट भी यह मानते हैं कि प्रियंका गांधी के साथ पूरा विपक्ष और वाराणसी से चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी करने वाले सारे निर्दलीय उम्मीदवार एक हो जाएं तो पीएम मोदी को चुनौती दी जा सकती है। 


कांग्रेस के प्रति अखिलेश का रहा है 'सॉफ्ट स्टैंड'


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि उत्तर प्रदेश में महागठबंधन प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी को किस तरह से देखता है। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के बीच हुई सीट साझेदारी में वाराणसी की सीट सपा के पास है, जिसने अब तक कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। साल 2017 में विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ लड़ने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश इस बार मायावती के साथ और कांग्रेस के खिलाफ हो गए हैं। बावजूद इसके कई मंचों पर विपक्ष में बिखराव के सवाल पर उनका सॉफ्ट स्टैंड रहा है। अमेठी और रायबरेली सीट छोड़ने की चर्चा कर वह कहते रहे हैं कि सब एकजुट हैं। 
इधर, कांग्रेस के एक गुट का मानना है कि नवोदित नेता के लिए ऐसा खतरा लेना ठीक नहीं रहेगा। वहीं, दूसरे गुट का मानना है कि प्रियंका गांधी के आने से वाराणसी में पीएम मोदी के लिए परेशानी काफी हद तक बढ़ सकती है। राजनीतिक विश्वलेषकों की मानें तो मायावती कांग्रेस पर भले ही हमलावर रहती हों, लेकिन कांग्रेस के साथ अखिलेश का सही तालमेल रहा है। ऐसे में प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी सामने आती है तो वह शायद समर्थन देने को तैयार हो सकते हैं। 



प्रियंका ने हां नहीं कहा, लेकिन ना भी नहीं 


प्रियंका गांधी के वाराणसी से चुनाव लड़ने के कयास ऐसे ही नहीं लगाए जा रहे हैं। उसके पीछे की प्रमुख वजह वह खुद हैं। जब से वह पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनाई गई हैं तभी से वाराणसी से चुनाव लड़ने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। बतौर प्रभारी जब पहली बार वह वाराणसी आई तो पत्रकारों ने उन्हें कुरेदा भी था। लेकिन, चुनाव लड़ने के बाबत हर प्रश्न को उन्होंने केवल यह कहा कि पार्टी चाहेगी तो चुनाव जरूर लड़ूंगी।
पिछले महीने प्रयागराज से वाराणसी के बीच गंगा यात्रा के दौरान जब पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनकी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया तो प्रियंका गांधी ने  कहा था कि जब चुनाव लड़ना ही है तो फिर वाराणसी से क्यों नहीं? 
रॉबर्ट वाड्रा भी इशारा कर चुके हैं कि वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रियंका गांधी वाड्रा मैदान में उतर सकती हैं। वाड्रा ने कहा कि प्रियंका वाराणसी से लड़ने को तैयार हैं। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला पार्टी ही करेगी। कुछ दिन पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने लोकसभा चुनाव में गांधी भाई-बहनों में छोटी प्रियंका गांधी के लड़ने की संभावना को खारिज भी नहीं किया है।  



कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू को इंटरव्यू देते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया। उनका कहना था कि आप खुद अंदाजा लगाइए। अंदाजा हमेशा गलत नहीं होता। उन्होंने कहा था कि वह ना तो इस बात की पुष्टि कर रहे हैं और ना ही इंकार कर रहे हैं। 
कांग्रेस के थिंक टैंक माने जाने वाले सैम पित्रोदा ने भी इस चर्चा पर उत्साह जताया था। एक मीडिया हाउस को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने इसका फैसला प्रियंका गांधी पर छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि वह आश्वस्त हैं, देश भी उत्साहित होगा और एक बेहद जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा। वाराणसी के लोग उनके लिए कड़ी मेहनत करेंगे मगर यह निर्णय उनका होगा।