लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बावजूद भाजपा एक बार फिर नए सिरे से संगठनात्मक जमीन तैयार करने में जुट गई है। चूंकि पार्टी संविधान के मुताबिक मौजूदा सदस्यों का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इस नाते पार्टी में नए संगठनात्मक चुनाव भी जरूरी हो गए हैं। जिसके लिए पार्टी छह जुलाई से सदस्यता अभियान शुरू करने का फैसला पहले ही ले चुकी है। यह अभियान 31 अगस्त तक चलेगा। इसके बाद एक सितंबर से संगठनात्मक चुनाव शुरू कराने की तैयारी है। ये चुनाव नवंबर तक चलेंगे।
संगठनात्मक चुनाव की वजह
भाजपा संविधान के मुताबिक, प्रत्येक तीन वर्ष पर 20 प्रतिशत नए सदस्य बनाकर संगठनात्मक चुनाव कराना जरूरी होता है। साथ ही सक्रिय सदस्यों को नए सिरे से सदस्यता लेनी होती है क्योंकि तीन वर्ष पर इनकी सदस्यता शून्य हो जाती है।
मतलब सभी सक्रिय सदस्य सिर्फ प्राथमिक सदस्य ही रह जाते हैं। नियमों के मुताबिक, पार्टी का पदाधिकारी उसे ही बनाया जा सकता है जो सक्रिय सदस्य है। इस वजह से भी सदस्यता अभियान जरूरी हो जाता है। ऐसा न होने पर पदाधिकारियों की नियुक्ति ही नियम विरुद्ध हो जाएगी। पार्टी का सदस्यता अभियान 2014-15 में चला था। इस लिहाज से तो 2018 में तीन साल पूरे चुके हैं। पर, लोकसभा चुनाव की चुनौतियों को देखते हुए पार्टी ने प्रस्ताव पारित कर सदस्यता अभियान और चुनावों को एक वर्ष आगे बढ़ा दिया था। चुनाव निपटने के साथ ही सदस्यता अभियान शुरू करने के साथ प्रदेश संगठन के चुनाव का कार्यक्रम भी तय कर दिया गया है। जिससे नए पदाधिकारियों का चुनाव करते हुए संगठनात्मक ढांचे के पुनर्गठन का काम पूरा किया जा सके। प्राथमिक समितियों के चुनावतय कार्यक्रम के अनुसार भाजपा के प्राथमिक समितियों के चुनाव एक से 15 सितंबर तक चलेंगे। ध्यान रहे कि भाजपा की प्राथमिक समितियां बूथस्तर पर होती हैं। प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख बूथ हैं। इन बूथों के अध्यक्ष मंडल समितियों का चुनाव करेंगे। मंडल अध्यक्ष और अधिकृत प्रतिनिधि जिला अध्यक्षों और प्रांतीय परिषद के सदस्यों को चुनेंगे। जिलाध्यक्ष और प्रांतीय परिषद के सदस्य प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों को चुनेंगे। प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय परिषद के सदस्य मिलकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनेंगे। यह है कार्यक्रम