जी-7 में हिस्सा लेने फ्रांस पहुंचे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
विश्व के शीर्ष नेताओं के बीच कश्मीर के मुद्दे पर भी होगी बातचीत
24 से 26 अगस्त 2019 तक चलेगा जी-7 शिखर सम्मेलन
जी-7 दुनिया के सात सबसे विकसित और औद्योगिक महाशक्तियों का संगठन है। इसे ग्रुप ऑफ सेवेन (G7) के नाम से भी जाना जाता है।
इस संगठन में जो देश शामिल हैं -
फ्रांस
यूनाइटेड किंगडम (UK)
कनाडा
इटली
जर्मनी
जापान
जी7 शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ भी प्रतिनिधित्व करता है।
1970 के दशक में जब वैश्विक आर्थिक मंदी और तेल संकट बढ़ रहा था, तब फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति बैलेरी जिस्कॉर्ड डी एस्टेइंग ने जी-7 की आधारशिला रखी। 1975 में जी-7 का गठन हुआ। तब इसमें सिर्फ 6 संस्थापक देश थे। कनाडा इसमें शामिल नहीं था।
यह सम्मेलन पहली बार 1975 में ही फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास स्थित शहर रम्बोइले में हुआ था।
1976 में कनाडा को इस समूह में शामिल किया गया। तब जाकर इस समूह का नाम जी7 रखा गया।
जी-7 एक अनौपचारिक संगठन है। इसका न तो कोई मुख्यालय है, न ही चार्टर या सचिवालय।
जी-7 में किस तरह के मुद्दों परो होती है चर्चा?
जी-7 की परंपरा रही है कि जिस देश में यह सम्मेलन आयोजित किया जाता है वही इसकी अध्यक्षता करता है। साथ ही मेजबान देश ही सम्मेलन में किन मुद्दों पर बात होगी, इसका निर्धारण भी करता है।
जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलन में दुनिया के अलग-अलग ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है। साथ ही उसका समाधान तलाशने की कोशिश की जाती है।
जी-7 में शामिल देशों में क्या है खास
ये देश दुनिया में सबसे बड़े निर्यातक हैं।
इन देशों के पास सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व है।
ये देश यूएन के बजट में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं।
ये सभी सात देश दुनिया में सबसे बड़े स्तर पर परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) का उत्पादन करते हैं।
जी-7 में और किन संस्थाओं को बुलाया जाता है?
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
- विश्व बैंक (World Bank)
- अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency)
- वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन
- यूनाइटेड नेशंस
- अफ्रीकन यूनियन
इस बार किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
- कश्मीर मुद्दा
- ग्लोबल कॉर्पोरेट टैक्स कोड
- ईरान व अमेरिका के बीच तनाव
- जलवायु आपातकाल
- भारत का परमाणु प्रोजेक्ट
- आतंकवाद
- यूक्रेन मामले का समाधान