खास बातें
- 11 प्रमुख फाइनल पिछले तीन साल में हारने के बाद जीता कोई प्रतिष्ठित खिताब
- 42 साल में विश्व चैंपियनशिप की ट्रॉफी जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं
- बोलीं- राष्ट्रगान बजने के दौरान तिरंगा फहराते देख मैं अपने आंसू नहीं रोक पाई
वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली खिलाड़ी पीवी सिंधु सोमवार देर रात स्वदेश लौट आईं। नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनका जोरदार स्वागत किया हुआ। बता दें लगातार दो फाइनल हारने के बाद मिली जीत से बेहद उत्साहित सिंधु ने अपनी भावनाओं का इजहार सोशल मीडिया पर भी किया था। स्वदेश लौटते ही सिंधु ने कहा कि मैं उम्मीद करती हूं कि देश के लिए ऐसे ही और मेडल भविष्य में भी जीतूंगी। साथ ही मैं अपने प्रशंसकों को धन्यवाद देना चाहती हूं। उन्होंने मुझे बहुत सारा प्यार और दुआएं दीं जिसकी वजह से मैं आज यहां हूं। इससे पहले पीवी सिंधु के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से बाहर आते ही जोरदार स्वागत हुआ। उन्हें फूलमालाएं पहनाई गईं। स्विटजरलैंड से जीतकर लौटीं सिंधु ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत अहम पल हैं। मुझे अपने भारतीय होने पर बेहद गर्व महसूस हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने अब उनसे पूछे जा रहे सवाल के बारे में भी बताया।
अभी से पूछने लगे हैं टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण के बारे में
रैकेट से दिया जवाब
सिंधू ने कहा, 'यह मेरा उन लोगों को जवाब है जो बार-बार सवाल पूछ रहे थे। मैं सिर्फ अपने रैकेट से जवाब देना चाहती थी। इस जीत के साथ मैं ऐसा करने में सफल रही। पहले विश्व चैंपियनशिप फाइनल के बाद मुझे काफी बुरा लग रहा था। पिछले साल मैं नाराज थी, दुखी थी। मैं भावनाओं से गुजर रही थी, खुद से पूछ रही थी 'सिंधू तुम यह एक मैच क्यों नहीं जीत पा रही हो'? लेकिन आखिरकार मैंने खुद से अपना स्वाभाविक खेल दिखाने और चिंता नहीं करने को कहा और यह काम कर गया।'
पीवी सिंधू ने ये भी कहा कि जब मैंने राष्ष्ट्रगान बजने के दौरान तिरंगे फहराते देखा तो मैं अपने आंसू नहीं रोक पाई। विश्व चैंपियनशिप में की जीत के बारे में शब्द मेरी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकते।
इतना आसाना नहीं था सिल्वर से गोल्डन गर्ल बनना
वे अपनी राह से भटकने लगते हैं। पर यह सिंधू ही थीं जो न तो भटक सकती थीं और न हौसला खो सकती थीं। उन्हें जीतना था। अपने लिए ही नहीं देश के लिए भी। उनका निशाना मछली की आंख थी। पिछले तीन साल में 11 मेजर फाइनल हारने के बाद आखिरकार सिंधू ने रविवार को वो कर दिखाया जिसे आज तक कोई भारतीय शटलर नहीं कर पाया।
वह 42 वर्षों में विश्व चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय शटलर बन गईं। जीत के बाद सिंधू ने कहा भी कि मेरे पास इस चैंपियनशिप के दो रजत, दो कांस्य पदक थे, पर आखिरकार मैं सोना जीतने में कामयाब रही।
रिकॉर्ड हार का बदला रिकॉर्ड जीत से
38.86 करोड़ की कमाई के साथ शीर्ष भारतीय एथलीट
रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू सर्वाधिक कमाई करने वाली दुनिया की शीर्ष 15 एथलीटों में 13वें नंबर पर हैं। वह 38.86 करोड़ रुपये की कमाई के साथ सर्वाधिक कमाई करने वाली शीर्ष भारतीय महिला खिलाड़ी हैं।
2016 ओलंपिक के बाद 11 फाइनल हारी थीं सिंधू
- ओलंपिक में कैरोलिना मारिन ने 19-21,21-12,21-15 से
- हांगकांग ओपन में ताई जू यिंग ने 21-15, 21-15 से
- विश्व चैंपियनशिप में नोजोमी ओकुहारा ने 21-19, 20-22, 22-20 से
- हांगकांग ओपन में ताई जू यिंग से हारीं 21-18, 21-18 से
- वर्ल्ड सुपर सीरीज फाइनल्स में अकाने यामागुची ने 15-21, 21-12, 21-19 से
- इंडिया ओपन में बेईवन झांग ने 21-18, 11-21, 22-20 से
- राष्ट्रमंडल खेलों में साइना नेहवाल ने 21-18, 23-21 से
- थाईलैंड ओपन में नोजोमी ओकुहारा ने 21-15, 21-18 से
- विश्व चैंपियनशिप्स में कैरोलिना मारिन ने 21-19, 21-10 से
- एशियाई खेलों में ताई जू यिंग ने 21-13, 21-16 से
- इंडोनेशिया ओपन में अकाने यामागुची ने 21-15, 21-16 से