MP हनीट्रैप: श्वेता ने इस सॉफ्टवेयर के जरिए अफसर-नेताओं के फोन करवाए टैप
मध्य प्रदेश के हनीट्रैप केस मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब पुलिस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अफसरों और नेताओं के फोन को टैप किया जा रहा था। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता था। पुलिस के मुताबिक आरोपी श्वेता विजय जैन ने बंगलूरू की प्राइवेट कंपनी (कंपनी के नाम का खुलासा अभी नहीं हुआ है) को फोन टैप करने और सर्विलांस का जिम्मा सौंपा था। जो कंपनी अफसर और नेताओं के फोन टैप कर रही थी वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी है जिसे संतोष नाम का एक शख्स चलाता है। 



 

फोन टैपिंग के लिए हुआ Pegasus सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल




रिपोर्ट के मुताबिक बंगलूरू की कंपनी नेताओं और अफसर के फोन टैपिंग के लिए पिगासस (Pegasus) सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती थी। बता दें कि पिगासस सॉफ्टवेयर साल 2016 में उस समय चर्चा में आया था जब एंटी वायरस सॉफ्टवेयर और सिक्योरिटी फर्म kaspersky ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा था कि पिगासस एक बहुत ही बड़ा जासूसी सॉफ्टवेयर है और इसकी मदद से आईफोन-आईपैड से लेकर किसी भी एंड्रॉयड फोन को हैक किया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी फोन पर 24 घंटे नजर रखी जा सकती है। खास बात यह है यूजर्स को इसकी भनक भी नहीं लगती कि उसके फोन में कोई जासूसी एप या सॉफ्टवेयर है। 
इस सॉफ्टवेयर के सामने आने के बाद एपल ने अपने आईओएस डिवाइसेज के सिक्योटिरी अपडेट जारी कर दिया था।  एप के चर्चा में आके बग का इस्तेमाल करती थी। इसे वॉट्सऐप, एसएमएस या अन्य तरीकों से नेताओं और अफसरों के फोन की गैलरी में भेजा जाता था। इसके बाद यह फोन में छिपकर कॉल रिकॉर्डिंग, वॉट्सऐप चैटिंग, एसएमएस के साथ अन्य चीजों की सर्विलांस करता था। कहा जाता है कि यह सॉफ्टवेयर आईफोन की भी निगरानी कर सकता है। ये उसे हैक कर लेता था, जिसकी जानकारी फोन चलाने वाले को नहीं होती है।




Pegasus सॉफ्टवेयर को आपके फोन में ऐसे इंस्टॉल करवाते हैं हैकर्स



Pegasus अटैक में हैकर्स यूजर्स के मोबाइल नंबर पर एक टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं जिसमें एक वेब लिंक भी होता है। इस लिंक पर क्लिक करते ही आपके फोन की जासूसी शुरू हो जाती है। मैसेज के साथ आए लिंक पर क्लिक करने पर एक वेबपेज खुलता है लेकिन तुरंत बंद हो जाता है। इसके बाद हैकर्स आपकी इसी गलती का फायदा उठाकर आपके फोन में जेलब्रेक (सिक्योरिटी तोड़ने वाला वायरस) डालते हैं।

इसके साथ कई अन्य मैलवेयर भी आपके फोन में चुपके से इंस्टॉल किए जाते हैं। इसके बाद इस सॉफ्टवेयर के जरिए आपके नंबर पर हो रही बातचीत से लेकर, मैसेज, ई-मेल, पासवर्ड, वेब हिस्ट्री और सोशल मीडिया एप्स पर होने वाली हर एक चैटिंग और गतिविधि पर नजर रखी जाती है। गौर करने वाली बात यह है कि पिगासस सॉफ्टवेयर व्हाट्सएप मैसेज को भी पढ़ सकता है, जबकि व्हाट्सएप मैसेज एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होता है। वहीं पिगासस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने अपनी सफाई में कहा था कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए डाटा इकट्ठा करके वह केवल आतंकवाद या आपराधिक जांच करने के लिए जिम्मेदार सरकारों को ही बेचती है।




बग फिक्स होने के बाद कैसे टैप हुए अफसर और नेताओं के फोन



यहां दो बातों पर गौर करने की जरूरत है। पहली बात यह कि iOS 9.3.5 में एक बग के कारण इस सॉफ्टवेयर से जासूसी होती थी जिसे एपल ने एक अपडेट देकर फिक्स कर दिया था। तो ऐसे में आईफोन को इस सॉफ्टवेयर के जरिए हैक नहीं किया जा सकता। एपल के बाद गूगल ने भी एंड्रॉयड का सिक्योरिटी अपडेट जारी किया था तो अब सवाल उठता है कि यदि आईफोन और एंड्रॉयड के बग फिक्स कर दिए गए हैं तो फिर इस सॉफ्टवेयर के जरिए हैकिंग कैसे हुई?




साइबर सेल की मदद से हुए फोन हुए टैप



मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि बंगलूरू में सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने वाले संतोष के साथ 5 अन्य भी थे जो सभी भोपाल में सक्रिय थे। इनमें से दो लोग सायबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं। सूत्रों के मुताबिक श्वेता अक्सर साइबर सेल के ऑफिस में देखी जाती थी, वहीं यह भी बात सामने आ रही है कि बंगलूरू की यह कंपनी पहले केंद्रीय एजेंसियों के साथ काम कर चुकी है। बता दें कि साइबर सर्विलांस में इस कंपनी का बड़ा नाम है और सर्विलांस में इसे एक्सपर्ट माना जाता है। ऐसे में यह पूरा खेल पिगासस सॉफ्टवेयर और साइबर सेल की मिलीभगत से ही संभव है।