- बाराबंकी। सिंदूर खेलती महिलाएं, हवा में उड़ता गुलाल, दूूर-दूर तक गूंजती ढाक की थाप, लोबान के धुएं से भरा मैदान, नृत्य कर मां की आराधना करते भक्त, मां के गीतों पर थिरकते कदम.. मंगलवार को शहर की मुख्य सड़कों पर ऐसा ही नजारा दिखा।वहीं कल्याणी नदी के घाटों पर मेले जैसा माहौल रहा। प्रतिमाएं हाफ डाला, डीसीएम, ट्रैक्टर आदि विभिन्न वाहनों से घाट तक लाई गईं। जोश से भरे भक्तों की टोलियों के सदस्य प्रतिमाओं को कंधों से उतार कर तट तक ले गए। इस दौरान शंख ध्वनि, मां के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। विसर्जन से पूर्व मां दुर्गा की आरती उतार कर सुख समृद्वि की कामना की।पूजा-पंडालों में विराजमान देवी प्रतिमाओं का गाजे-बाजे के साथ मंगलवार को विसर्जन हुआ। शंख और घंटे घड़ियाल की गूंज तथा लोबान की खुशबू से पूरा माहौल भक्तिमय था। प्रतिमाएं लेकर आए वाहनों व भक्तों से घाट पर मेले जैसा माहौल दिखा।अबीर गुलाल उड़ाते भक्तों की टोली व समितियों के कार्यकर्ता जयकारा लगाते चल रहे थे। चलती ट्रैक्टर-ट्रॉली पर अबीर गुलाल उड़ाती युवतियों की टोली नृत्य करती रहीं। महिलाओं ने मां के माथे पर सिंदूर लगाया और मुख पर अबीर अर्पित कर सुहाग की उम्र और सुख समृद्धि की कामना की।परंपरागत पूजा के बाद मां को चढ़ाया गया अबीर-गुलाल उड़ाकर मां का चरण वंदन किया। साथ ही अगले बरस फिर से सुख-समृद्धि के साथ विराजने की कामना की। आवास विकास में स्थापित प्रतिमाओं का घाघरा घाट तो नगरपालिका में स्थापित प्रतिमाओं का विसर्जन लखनऊ के गोमती नदी घाट नंबर एक पर हुआ। विसर्जन से पूर्व धुनुचि आरती में ढाक की थाप पर श्रद्धालु झूमते दिखे।
गाजे बाजे संग भक्तों ने दी मां दुर्गा को विदाई