सरकारी विभागों में सृजित पदों पर नियमित भर्तियों को बंद कर सेवा प्रदाता एजेंसियों के जरिए कर्मचारी लेकर काम कराने का कारोबार 790 करोड़ रुपये पार कर गया है।
सरकारी तंत्र न तो भ्रष्टाचार का पर्याय साबित हो रही आउटसोर्सिंग भर्ती व्यवस्था को खत्म करने को तैयार है और न ही इन भर्तियों के लिए स्पष्ट नीति बनाकर बेरोजगारों का शोषण रोक कर भर्ती का समान अवसर उपलब्ध कराने की मुकम्मल व्यवस्था ही कर रही है।
आउटसोर्सिंग नीति बनाने की कार्यवाही बीते एक साल से नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी है। हालांकि हाईकोर्ट द्वारा सरकारी दफ्तरों में सेवा प्रदाता के जरिए भर्तियों पर रोक व इससे संबंधित नियम पूछने के बाद आउटसोर्सिंग नीति को जल्द मंजूरी मिलने की संभावना है।
प्रदेश में आउटसोर्सिंग एजेंसियों का फर्जीवाड़ा किसी से छिपा नहीं है। पंचायतीराज विभाग से लेकर राजस्व विभाग तक की भर्तियों में आउटसोर्सिंग एजेंसियों व सरकारी तंत्र की मिलीभगत का खुलासा हो चुका है। कई भर्तियां निरस्त हो चुकी हैं।
आईएएस व पीसीएस अफसर तक फंस चुके हैं। सरकार विधानसभा में आउटसोर्सिंग को बेरोजगारों से धोखे वाला काम मान चुकी है। श्रम मंत्री इस समस्या का जल्द स्थायी समाधान का वादा कर चुके हैं और मुख्यमंत्री के निर्देश पर आउटसोर्सिंग नीति बनाने की कवायद भी शुरू हो गई, लेकिन यह काम पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है। 21 अक्तूबर को मुख्यमंत्री पॉलिसी के मसौदे पर सहमति दे चुके हैं, पर एक माह बाद भी नीति नहीं बनी।
दरअसल,समूह 'ग' व 'घ' की भर्तियों से इंटरव्यू खत्म होने से मनमानी के अवसर लगभग खत्म हो गए हैं। बड़ी संख्या में आउटसोर्सिंग एजेंसियां प्रभावशाली लोगों की हैं। एजेंसियों द्वारा कर्मचारियों के चयन से लेकर आपूर्ति तक में जमकर मनमानी होती है। लिहाजा सरकारी मशीनरी आउटसोर्सिंग सिस्टम को मजबूत कर रही है। प्रदेश सरकार ने 2019-20 के आम बजट में 790 करोड़ 66 लाख रुपये सरकारी कार्यालयों में आउटसोर्सिंग से रखे गए कर्मचारियों पर खर्च के लिए रखा है।
आउटसोर्सिंग नीति बनाने की कार्यवाही बीते एक साल से नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी है। हालांकि हाईकोर्ट द्वारा सरकारी दफ्तरों में सेवा प्रदाता के जरिए भर्तियों पर रोक व इससे संबंधित नियम पूछने के बाद आउटसोर्सिंग नीति को जल्द मंजूरी मिलने की संभावना है।
प्रदेश में आउटसोर्सिंग एजेंसियों का फर्जीवाड़ा किसी से छिपा नहीं है। पंचायतीराज विभाग से लेकर राजस्व विभाग तक की भर्तियों में आउटसोर्सिंग एजेंसियों व सरकारी तंत्र की मिलीभगत का खुलासा हो चुका है। कई भर्तियां निरस्त हो चुकी हैं।
आईएएस व पीसीएस अफसर तक फंस चुके हैं। सरकार विधानसभा में आउटसोर्सिंग को बेरोजगारों से धोखे वाला काम मान चुकी है। श्रम मंत्री इस समस्या का जल्द स्थायी समाधान का वादा कर चुके हैं और मुख्यमंत्री के निर्देश पर आउटसोर्सिंग नीति बनाने की कवायद भी शुरू हो गई, लेकिन यह काम पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है। 21 अक्तूबर को मुख्यमंत्री पॉलिसी के मसौदे पर सहमति दे चुके हैं, पर एक माह बाद भी नीति नहीं बनी।
दरअसल,समूह 'ग' व 'घ' की भर्तियों से इंटरव्यू खत्म होने से मनमानी के अवसर लगभग खत्म हो गए हैं। बड़ी संख्या में आउटसोर्सिंग एजेंसियां प्रभावशाली लोगों की हैं। एजेंसियों द्वारा कर्मचारियों के चयन से लेकर आपूर्ति तक में जमकर मनमानी होती है। लिहाजा सरकारी मशीनरी आउटसोर्सिंग सिस्टम को मजबूत कर रही है। प्रदेश सरकार ने 2019-20 के आम बजट में 790 करोड़ 66 लाख रुपये सरकारी कार्यालयों में आउटसोर्सिंग से रखे गए कर्मचारियों पर खर्च के लिए रखा है।
आउटसोर्सिंग से भी बड़े प्रयोग की तैयारी, काम को ही कांट्रैक्ट पर देने का फरमान
वित्त विभाग ने 2019-20 की बजट तैयारियों के लिए एक शासनादेश जारी किया। इसमें एक ऐसा निर्देश है जिससे आउटसोर्सिंग से भी बड़ी चुनौती बढ़नी तय मानी जा रही है। विभाग ने कहा है कि ऐसे कार्यों का चयन किया जाए जिन्हें संविदा के आधार पर कराकर खर्च कम किया जा सकता है। संविदा के आधार पर कर्मचारियों को नियुक्त करके काम कराने की जगह काम को ही संविदा के आधार पर करवाया जाए।
यह आदेश रोजगार केअवसर कम करने के साथ ही कर्मचारियों पर खर्च होने वाला बजट ठेकेदारों व सरकारी सिस्टम के एक नए मकड़जाल का रास्ता खोलने वाला माना जा रहा है। आउटसोर्सिंग व्यवस्था पर सवाल उठने के बीच यह पहल की गई है।
'आउटसोर्सिंग की समस्या का करेंगे समाधान'
आउटसोर्सिंग सपा ने शुरू कर बेरोजगारों के साथ धोखा किया। सरकार बेरोजगारों के साथ हो रहे धोखे की व्यवस्था खत्म कर आउटसोर्सिंग की समस्या का समाधान करने जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है। जल्दी ही इसका समाधान निकलेगा।
- स्वामी प्रसाद मौर्य, श्रम मंत्री (18 फरवरी 2019 को विधानसभा में)
आउटसोर्सिंग के चर्चित मामले
- सपा शासनकाल में पंचायतीराज विभाग में पंचायत सहायक के 4926, कंप्यूटर ऑपरेटर के 1642, लेखाकार के 821 व अवर अभियंता सिविल के 1642 पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती हुई। लेकिन फर्जीवाड़े की शिकायतों के बाद ये भर्तियां निरस्त की गईं। नई सरकार ने नए सिरे से भर्ती की कार्यवाही शुरू कराई।
- तहसीलों व कलेक्ट्रेट में 3833 चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती हुई। कृषि उत्पादन आयुक्त ने इस भर्ती में भ्रष्टाचार की पुष्टि करते हुए एक आईएएस व एक पीसीएस अधिकारी सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर व सतर्कता जांच कराने, निलंबित कर अनुशासनिक कार्रवाई करने और सेवा प्रदाता संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश की। चयनित चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से सेवा न लेने के निर्देश भी दिए गए। विजिलेंस जांच जारी है।
- श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने तहसीलों, कलेक्ट्रेट व मंडलायुक्त न्यायालयों में 615 डाटा इंट्री ऑपरेटर की आउटसोर्सिंग से भर्ती में गड़बड़ियों की जांच के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा। राजस्व विभाग ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए एक वर्ष के लिए यह भर्ती की थी। हाल में ही इस एजेंसी का रिन्युवल न करने का आदेश हो गया।
नियमित की जगह आउटसोर्सिंग को तवज्जो, समूह 'घ' से उच्च पद भी शामिल
- पंचायतीराज विभाग में पंचायत सहायक के 4926, कंप्यूटर ऑपरेटर के 1642, लेखाकार के 821 व अवर अभियंता सिविल के 1642 पद आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती के लिए सृजित किए गए। ये पद चतुर्थ श्रेणी से इतर नए सृजित पद हैं।
- राजस्व विभाग में राजस्व न्यायिक नयाकाडर बनाने के लिए पदों का सृजन हुआ। काडर में 2432 नए पदों में 608 पद अनुसेवक के तय किए गए। इन 608 पदों पर भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए की गई।
- लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी योजनाओं की जनता को जानकारी देने के लिए हर ब्लॉक में आउटसोर्सिंग के जरिए लोक कल्याण मित्रों की नियुक्ति हुई। ये पद समूह ग के कर्मियों को शुरुआत में मिलने वाले वेतन से अधिक वाले थे।
आउटसोर्सिंग भर्ती को लेकर प्रमुख शिकायतें
- चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं। सेवा प्रदाता भर्ती का विज्ञापन नहीं जारी करते।
- मनचाहे लोगों की भर्ती में भ्रष्टाचार के अवसर बनते हैं।
- कर्मियों को पूरा मानदेय नहीं मिल पाता है। कई बार खाते में तो पूरा भुगतान होता है, लेकिन बाहर से कर्मी से कुछ हिस्सा वापस ले लिया जाता है।
- समान कार्य व पद होने के बावजूद अलग-अलग एजेंसियां अलग-अलग मानदेय देती हैं।
- वास्तविक रूप से महीने में पूरे दिन काम लिया जाता है। सरकार पूरा मानदेय देती है। लेकिन एजेंसियां भुगतान 26 दिन का ही करती हैं। बीच में छुट्टी लेने पर पैसा भी काट लिया जाता है।
- एजेंसियों को समस्त करों सहित एडवांस मानदेय मिलता है। लेकिन कर्मियों को प्राय: समय पर भुगतान नहीं मिल पाता।
यह आदेश रोजगार केअवसर कम करने के साथ ही कर्मचारियों पर खर्च होने वाला बजट ठेकेदारों व सरकारी सिस्टम के एक नए मकड़जाल का रास्ता खोलने वाला माना जा रहा है। आउटसोर्सिंग व्यवस्था पर सवाल उठने के बीच यह पहल की गई है।
'आउटसोर्सिंग की समस्या का करेंगे समाधान'
आउटसोर्सिंग सपा ने शुरू कर बेरोजगारों के साथ धोखा किया। सरकार बेरोजगारों के साथ हो रहे धोखे की व्यवस्था खत्म कर आउटसोर्सिंग की समस्या का समाधान करने जा रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है। जल्दी ही इसका समाधान निकलेगा।
- स्वामी प्रसाद मौर्य, श्रम मंत्री (18 फरवरी 2019 को विधानसभा में)
आउटसोर्सिंग के चर्चित मामले
- सपा शासनकाल में पंचायतीराज विभाग में पंचायत सहायक के 4926, कंप्यूटर ऑपरेटर के 1642, लेखाकार के 821 व अवर अभियंता सिविल के 1642 पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती हुई। लेकिन फर्जीवाड़े की शिकायतों के बाद ये भर्तियां निरस्त की गईं। नई सरकार ने नए सिरे से भर्ती की कार्यवाही शुरू कराई।
- तहसीलों व कलेक्ट्रेट में 3833 चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती हुई। कृषि उत्पादन आयुक्त ने इस भर्ती में भ्रष्टाचार की पुष्टि करते हुए एक आईएएस व एक पीसीएस अधिकारी सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर व सतर्कता जांच कराने, निलंबित कर अनुशासनिक कार्रवाई करने और सेवा प्रदाता संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश की। चयनित चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से सेवा न लेने के निर्देश भी दिए गए। विजिलेंस जांच जारी है।
- श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने तहसीलों, कलेक्ट्रेट व मंडलायुक्त न्यायालयों में 615 डाटा इंट्री ऑपरेटर की आउटसोर्सिंग से भर्ती में गड़बड़ियों की जांच के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा। राजस्व विभाग ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए एक वर्ष के लिए यह भर्ती की थी। हाल में ही इस एजेंसी का रिन्युवल न करने का आदेश हो गया।
नियमित की जगह आउटसोर्सिंग को तवज्जो, समूह 'घ' से उच्च पद भी शामिल
- पंचायतीराज विभाग में पंचायत सहायक के 4926, कंप्यूटर ऑपरेटर के 1642, लेखाकार के 821 व अवर अभियंता सिविल के 1642 पद आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती के लिए सृजित किए गए। ये पद चतुर्थ श्रेणी से इतर नए सृजित पद हैं।
- राजस्व विभाग में राजस्व न्यायिक नयाकाडर बनाने के लिए पदों का सृजन हुआ। काडर में 2432 नए पदों में 608 पद अनुसेवक के तय किए गए। इन 608 पदों पर भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए की गई।
- लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी योजनाओं की जनता को जानकारी देने के लिए हर ब्लॉक में आउटसोर्सिंग के जरिए लोक कल्याण मित्रों की नियुक्ति हुई। ये पद समूह ग के कर्मियों को शुरुआत में मिलने वाले वेतन से अधिक वाले थे।
आउटसोर्सिंग भर्ती को लेकर प्रमुख शिकायतें
- चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं। सेवा प्रदाता भर्ती का विज्ञापन नहीं जारी करते।
- मनचाहे लोगों की भर्ती में भ्रष्टाचार के अवसर बनते हैं।
- कर्मियों को पूरा मानदेय नहीं मिल पाता है। कई बार खाते में तो पूरा भुगतान होता है, लेकिन बाहर से कर्मी से कुछ हिस्सा वापस ले लिया जाता है।
- समान कार्य व पद होने के बावजूद अलग-अलग एजेंसियां अलग-अलग मानदेय देती हैं।
- वास्तविक रूप से महीने में पूरे दिन काम लिया जाता है। सरकार पूरा मानदेय देती है। लेकिन एजेंसियां भुगतान 26 दिन का ही करती हैं। बीच में छुट्टी लेने पर पैसा भी काट लिया जाता है।
- एजेंसियों को समस्त करों सहित एडवांस मानदेय मिलता है। लेकिन कर्मियों को प्राय: समय पर भुगतान नहीं मिल पाता।