डेढ़ माह में ही फट गए सरकारी स्कूल के बैग, अब क्वालिटी पर उठ रहे सवाल

परिषदीय स्कूलों में छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क दिए गए स्कूल बैग डेढ़ महीना में ही फट गए। 30 से 40 फीसदी बैग बेकार हो गए। इससे बैग की क्वालिटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जिले में करीब पौने दो करोड़ रुपये की लागत से एक लाख 43 हजार छात्र-छात्राओं को स्कूल बैगों का वितरण किया गया था। 


मुजफ्फरनगर जनपद में 881 प्राथमिक और 382 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख 43 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। छात्रों को यूनिफार्म, जूते और मोजों के साथ ही स्कूल बैग भी नि:शुल्क दिए जाते हैं। इस बार अगस्त माह में स्कूल बैगों का वितरण शुरू हुआ, जो कि सितंबर तक पूरा हो सका था। स्कूल बैग की सप्लाई सीधे लखनऊ से की गई थी। एक बैग की कीमत लगभग 121 रुपये निर्धारित थी। इस हिसाब से एक लाख 43 हजार स्कूल बैग पर लगभग एक करोड़ 73 लाख रुपये खर्च किए गए। 
परिषदीय स्कूलों के कुछ शिक्षकों ने बताया कि कुछ बैग तो आठ-दस दिन के भीतर ही फट गए थे। छात्र-छात्राओं ने जैसे ही उनमें किताबें रखीं, बैग का निचला हिस्सा उधड़ गया। 
बुधवार को रुड़की रोड स्थित एक परिषदीय विद्यालय में जा रहे मोहल्ला खालापार के छात्र-छात्राओं में से कई फटा हुआ बैग लिए थे। एक छात्र ने अपने बैग में हाथ डालकर दिखाया तो वह आर-पार हो गया। बच्चे ने बताया कि बैग मिलने के कुछ दिन बाद ही फट गया था। एक छात्रा तो प्लास्टिक के बोरे से बने थैले में किताबें ले जाती नजर आई। उसने बताया कि बैग तो मिला था लेकिन फट गया है। अन्य कई बच्चों के स्कूल बैग भी फट गए हैं। बताया जाता है कि करीब 30 से 40 प्रतिशत स्कूल बैग खराब हो गए, या फट गए।