महाराष्ट्र के सियासी नाटक का आज आखिर पटाक्षेप हो गया। बहुमत परीक्षण से 24 घंटे पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इससे दो घंटे पहले अजित पवार डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे चुके थे। इस बार फडणवीस महज 80 घंटे या कहें ढाई दिन के लिए ही सीएम पद पर बने रह सके। आपको बताते हैं 24 नवंबर की सुबह से लेकर अबतक का घटनाक्रम जिसने हर मोड़ पर लोगों को चौंकाया।
24 नवंबर की सुबह
24 नवंबर रविवार को सुबह 8 बजे जिसने भी ये खबर सुनी कि वो हैरत में रह गया। खबर थी कि फडणवीस ने सीएम और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली। शिवसेना के हाथों जैसे तोते उड़ गए। इससे एक दिन पहले ही शरद पवार ने एलान कर दिया था कि गठबंधन सरकार के सीएम पद के लिए उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बन गई है। लेकिन पूरा प्लान ही चौपट हो गया। बड़ा फैसला दिल्ली से हुआ। अलसुबह महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला हुआ। सुबह करीब 8 बजे फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिला दी गई। अजित ने बतौर एनसीपी विधायक दल नेता राज्यपाल को सभी विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी।
राज्यपाल के फैसले से सियासी संग्राम
राज्यपाल के इस फैसले से सियासी संग्राम मच गया। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सीधे केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। बड़े नेताओं ने इसे राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार का फैसला करार दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की तरफ से अलग-अलग तीन वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी। उसी रात सुनवाई की मांग रखी गई। लेकिन अदालत ने सोमवार को मामले को सुनवाई के लिए रखा। अदालत में इस मामले पर जोरदार बहस हुई। फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रखा गया।
बैठकों का दौर तेज
उधर, मुंबई में बैठकों और मेल मुलाकातों का दौर तेज हो गया। साथ ही शुरू हुआ अजित पवार को वापस अपने पाले में करने का दौर। शरद पवार अपनी एनसीपी को बचाने की कवायद में जुट गए। बड़े नेताओं ने अजित पवार से मुलाकात कर उन्हें मनाने का सिलसिला शुरू कर दिया।
25 नवंबर सोमवार को सियासी गहमागहमी चरम पर पहुंच गई। केंद्र था मुंबई। एनसीपी विधायक किसके साथ हैं, अजित पवार या शरद पवार? इसपर सवालों का सिलसिला बढ़ गया। लेकिन भारी शरद पवार ही पड़े। उन्होंने अपनी ताकत दिखाई और तमाम विधायक उनके इर्द गिर्द जुटने लगे। शाम आते आते एनसीपी के 53 विधायक उनके साथ आ गए। अजित पवार अकेले ही रह गए। मुंबई में भाई श्रीनिवास पवार के घर पर बालकनी में बेचैनी से चहलकदमी करते हुए उनकी तस्वीर बयां कर रही थी कि वह किस भंवर में फंस गए हैं।
फडणवीस ने की बैठक, नदारद रहे अजित
इस बीच 25 नवंबर को फडणवीस ने बतौर सीएम अपना कामकाज शुरू कर दिया। लेकिन अजित पवार की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई। फडणवीस ने बैठकें कीं और किसानों के लिए करोड़ों के पैकेज का एलान भी किया। लेकिन उनके पास रखी डिप्टी सीएम की कुर्सी खाली ही रही। इसने कयासों को और बढ़ा दिया।
आम्ही 162 का नारा
शाम आते आते शिवसेना नेता संजय राउत ने आम्ही 162 का नारा देते रोमांच और बढ़ा दिया। राउत ने एलान किया कि शाम सात बजे होटल हयात में गठबंधन के 162 विधायक एक साथ जुटेंगे। उन्होंने राज्यपाल को भी न्यौता दिया। इस महाबैठक में पहली बार कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी के बड़े नेता एक साथ नजर आए। शरद पवार, सुप्रिया सुले, उद्धव ठाकरे, अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोराट, संजय राउत जैसे नेता एक साथ एक मंच पर दिखाई पड़े। यहां पर शरद पवार ने ताल ठोकी कि महाराष्ट्र को गोवा और मणिपुर न समझा जाए। उद्धव ने भी केंद्र सरकार और भाजपा को आंखें दिखाते हुए कहा कि शिवसेना की असली ताकत तो अब दिखेगी।
80 घंटे बाद फडणवीस ने दिया इस्तीफा
मंगलवार 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया कि फडणवीस सरकार 24 घंटे के भीतर बहुमत साबित करके दिखाए। 27 नवंबर शाम 7 बजे तक का वक्त दिया गया। ये फैसला एक तरह से गठबंधन की जीत पर मुहर था। दोपहर आते आते अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया और फिर शाम चार बजे फडणवीस ने भी राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। फडणवीस महज ढाई दिन के लिए ही सीएम पद पर बने रह सके। इस दौरान उन्होंने कुछ बैठकें कीं और किसानों के लिए बड़े राहत पैकेज का एलान किया। जबकि अजित पवार तो डिप्टी सीएम की कुर्सी पर भी नहीं बैठ सके और सियासी उलझनों में ही फंसे रहे।
24 नवंबर रविवार को सुबह 8 बजे जिसने भी ये खबर सुनी कि वो हैरत में रह गया। खबर थी कि फडणवीस ने सीएम और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली। शिवसेना के हाथों जैसे तोते उड़ गए। इससे एक दिन पहले ही शरद पवार ने एलान कर दिया था कि गठबंधन सरकार के सीएम पद के लिए उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बन गई है। लेकिन पूरा प्लान ही चौपट हो गया। बड़ा फैसला दिल्ली से हुआ। अलसुबह महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला हुआ। सुबह करीब 8 बजे फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिला दी गई। अजित ने बतौर एनसीपी विधायक दल नेता राज्यपाल को सभी विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी।
राज्यपाल के फैसले से सियासी संग्राम
राज्यपाल के इस फैसले से सियासी संग्राम मच गया। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने सीधे केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। बड़े नेताओं ने इसे राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार का फैसला करार दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की तरफ से अलग-अलग तीन वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी। उसी रात सुनवाई की मांग रखी गई। लेकिन अदालत ने सोमवार को मामले को सुनवाई के लिए रखा। अदालत में इस मामले पर जोरदार बहस हुई। फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रखा गया।
बैठकों का दौर तेज
उधर, मुंबई में बैठकों और मेल मुलाकातों का दौर तेज हो गया। साथ ही शुरू हुआ अजित पवार को वापस अपने पाले में करने का दौर। शरद पवार अपनी एनसीपी को बचाने की कवायद में जुट गए। बड़े नेताओं ने अजित पवार से मुलाकात कर उन्हें मनाने का सिलसिला शुरू कर दिया।
25 नवंबर सोमवार को सियासी गहमागहमी चरम पर पहुंच गई। केंद्र था मुंबई। एनसीपी विधायक किसके साथ हैं, अजित पवार या शरद पवार? इसपर सवालों का सिलसिला बढ़ गया। लेकिन भारी शरद पवार ही पड़े। उन्होंने अपनी ताकत दिखाई और तमाम विधायक उनके इर्द गिर्द जुटने लगे। शाम आते आते एनसीपी के 53 विधायक उनके साथ आ गए। अजित पवार अकेले ही रह गए। मुंबई में भाई श्रीनिवास पवार के घर पर बालकनी में बेचैनी से चहलकदमी करते हुए उनकी तस्वीर बयां कर रही थी कि वह किस भंवर में फंस गए हैं।
फडणवीस ने की बैठक, नदारद रहे अजित
इस बीच 25 नवंबर को फडणवीस ने बतौर सीएम अपना कामकाज शुरू कर दिया। लेकिन अजित पवार की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई। फडणवीस ने बैठकें कीं और किसानों के लिए करोड़ों के पैकेज का एलान भी किया। लेकिन उनके पास रखी डिप्टी सीएम की कुर्सी खाली ही रही। इसने कयासों को और बढ़ा दिया।
आम्ही 162 का नारा
शाम आते आते शिवसेना नेता संजय राउत ने आम्ही 162 का नारा देते रोमांच और बढ़ा दिया। राउत ने एलान किया कि शाम सात बजे होटल हयात में गठबंधन के 162 विधायक एक साथ जुटेंगे। उन्होंने राज्यपाल को भी न्यौता दिया। इस महाबैठक में पहली बार कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी के बड़े नेता एक साथ नजर आए। शरद पवार, सुप्रिया सुले, उद्धव ठाकरे, अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोराट, संजय राउत जैसे नेता एक साथ एक मंच पर दिखाई पड़े। यहां पर शरद पवार ने ताल ठोकी कि महाराष्ट्र को गोवा और मणिपुर न समझा जाए। उद्धव ने भी केंद्र सरकार और भाजपा को आंखें दिखाते हुए कहा कि शिवसेना की असली ताकत तो अब दिखेगी।
80 घंटे बाद फडणवीस ने दिया इस्तीफा
मंगलवार 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया कि फडणवीस सरकार 24 घंटे के भीतर बहुमत साबित करके दिखाए। 27 नवंबर शाम 7 बजे तक का वक्त दिया गया। ये फैसला एक तरह से गठबंधन की जीत पर मुहर था। दोपहर आते आते अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया और फिर शाम चार बजे फडणवीस ने भी राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। फडणवीस महज ढाई दिन के लिए ही सीएम पद पर बने रह सके। इस दौरान उन्होंने कुछ बैठकें कीं और किसानों के लिए बड़े राहत पैकेज का एलान किया। जबकि अजित पवार तो डिप्टी सीएम की कुर्सी पर भी नहीं बैठ सके और सियासी उलझनों में ही फंसे रहे।