प्रयागराज। स्पेशल कोर्ट एमपीएमएल ने प्रदेश सरकार के मंत्री उपेंद्र तिवारी को पुलिस पर कातिलाना हमला करने व अन्य आरोपों के मुकदमे में दोषमुक्त कर दिया है। उपेंद्र तिवारी पर लगाए गए आरोप अभियोजन साबित नहीं कर सका। घटना 1996 की इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हालैंड हाल छात्रावास के पास की है।
स्पेशल कोर्ट जज डॉ बालमुकुंद ने उपेंद्र तिवारी के अधिवक्ता शीतला प्रसाद मिश्रा, पवन कुमार मिश्रा तथा एडीजीसी राजेश गुप्ता, वीरेंद्र कुमार सिंह, सीबीसीआईडी के वकील जयगोविंद उपाध्याय के तर्कों को सुन कर दोषमुक्ति का आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा कि पत्रावली पर ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है, जिससे लगाए गए आरोप साबित होते हों। गवाहों के द्वारा दिए गए बयानों में काफी विरोधाभास है। प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना कर्नलगंज पर दर्ज कराने वाले सिपाही विजय कुमार ने अदालत में बताया कि उसने आरोपियों का नाम घटनास्थल पर खड़े लोगों के बताए जाने पर लिखाया था, आरोपियों का नाम वह नहीं जानता था।
घटना को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए दूसरे चश्मदीद गवाह दिवाकर प्रसाद सिपाही ने अदालत को बताया कि वह आरोपियों को पहले से नहीं जानता था। वह यह भी नहीं बता सकता कि घटना स्थल पर उपस्थित जनता के किन, किन लोगों ने उसे आरोपियों का नाम बताया था।
यह था मामला
इलाहाबाद के कर्नलगंज थाने पर 29 मार्च 1996 को रात में कांस्टेबल विजय कुमार और दिवाकर प्रसाद ने मुकदमा दर्ज कराया था कि रात में कांस्टेबल तेज बहादुर पांडे ने सूचना दी थी कि हालैंड हाल छात्रावास परिसर की टूटी हुई दीवाल के पास कुबेर राय, विनोद राय, ओमप्रकाश ने जयशंकर को कट्टा से मारकर घायल कर दिया है। इस सूचना पर वह दोनों सिपाही अभियुक्तों की तलाश में निकले। जैसे ही कर्नलगंज चौराहे पर रात सवा नौ बजे पहुंचे तो वहां पर तीन स्कूटर व एक मोटरसाइकिल पर कट्टा लहराते हुए कुबेर राय, विनोद राय, ओम प्रकाश व उपेंद्र तिवारी मिले। इन लोगों की गिरफ्तारी की कोशिश की गई तो उन्होंने ललकार कर उन लोगों पर बम चलाए, जिससे कि वे घायल हो गए। पुलिस ने मामले की विवेचना की। इसके बाद जांच सीबीसीआईडी को सुपुर्द कर दिया गया, जिन्होंने विवेचना करने के पश्चात मामले में आरोप पत्र प्रस्तुत किया।
स्पेशल कोर्ट जज डॉ बालमुकुंद ने उपेंद्र तिवारी के अधिवक्ता शीतला प्रसाद मिश्रा, पवन कुमार मिश्रा तथा एडीजीसी राजेश गुप्ता, वीरेंद्र कुमार सिंह, सीबीसीआईडी के वकील जयगोविंद उपाध्याय के तर्कों को सुन कर दोषमुक्ति का आदेश दिया।
न्यायालय ने कहा कि पत्रावली पर ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है, जिससे लगाए गए आरोप साबित होते हों। गवाहों के द्वारा दिए गए बयानों में काफी विरोधाभास है। प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना कर्नलगंज पर दर्ज कराने वाले सिपाही विजय कुमार ने अदालत में बताया कि उसने आरोपियों का नाम घटनास्थल पर खड़े लोगों के बताए जाने पर लिखाया था, आरोपियों का नाम वह नहीं जानता था।
घटना को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए दूसरे चश्मदीद गवाह दिवाकर प्रसाद सिपाही ने अदालत को बताया कि वह आरोपियों को पहले से नहीं जानता था। वह यह भी नहीं बता सकता कि घटना स्थल पर उपस्थित जनता के किन, किन लोगों ने उसे आरोपियों का नाम बताया था।
यह था मामला
इलाहाबाद के कर्नलगंज थाने पर 29 मार्च 1996 को रात में कांस्टेबल विजय कुमार और दिवाकर प्रसाद ने मुकदमा दर्ज कराया था कि रात में कांस्टेबल तेज बहादुर पांडे ने सूचना दी थी कि हालैंड हाल छात्रावास परिसर की टूटी हुई दीवाल के पास कुबेर राय, विनोद राय, ओमप्रकाश ने जयशंकर को कट्टा से मारकर घायल कर दिया है। इस सूचना पर वह दोनों सिपाही अभियुक्तों की तलाश में निकले। जैसे ही कर्नलगंज चौराहे पर रात सवा नौ बजे पहुंचे तो वहां पर तीन स्कूटर व एक मोटरसाइकिल पर कट्टा लहराते हुए कुबेर राय, विनोद राय, ओम प्रकाश व उपेंद्र तिवारी मिले। इन लोगों की गिरफ्तारी की कोशिश की गई तो उन्होंने ललकार कर उन लोगों पर बम चलाए, जिससे कि वे घायल हो गए। पुलिस ने मामले की विवेचना की। इसके बाद जांच सीबीसीआईडी को सुपुर्द कर दिया गया, जिन्होंने विवेचना करने के पश्चात मामले में आरोप पत्र प्रस्तुत किया।