रिवर फ्रंट शो में लखनऊवासी उठा सकेंगे वाटर स्कूटर का लुत्फ, सेना के टैंक देंगे राइडिंग का मजा
लखनऊ में अगले साल फरवरी में डिफेंस एक्सपो के तहत होने वाले रिवर फ्रंट शो में शहरवासियों को टैंक राइडिंग और वाटर स्कूटर का लुत्फ उठाने को मिलेगा। दो टैंकों के अलावा यहां जल सेना की सेल वोट भी देखने को मिलेगी। युद्ध टैंक हनुमान सेतु से खाटू श्याम मंदिर के बीच दर्शकों को राइडिंग का मजा देंगे। थल व जल सेना ने रिवर फ्रंट शो में लाए जाने वाले युद्धक साजो-सामान व उपकरण की अंतिम सूची तैयार कर प्रशासन को सौंप दी है।


यह जानकारी देते हुए जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया कि 28 नवंबर तक आयोजन स्थल के ले-आउट को गठित कमेटी अंतिम स्वरूप देगी। डीएम ने बताया कि रिवर फ्रंट शो के दौरान सेना द्वारा तीन आधुनिक युद्ध टैंक के साथ हल्के आयुध उपकरण दर्शकों के समक्ष प्रदर्शित किए जाने की जानकारी दी गई है। इसमें से दो टैंक दर्शकों को  राइडिंग का लुफ्त देने के लिए हनुमान सेतु से खाटू श्याम मंदिर तक दौड़ लगाते दिखेंगे।

वहीं एक टैंक लक्ष्मण मेला पार्क के समक्ष तट पर प्रदर्शनी में दिखेगा। प्रदर्शन स्टाल में सेना द्वारा युद्ध में इस्तेमाल होने वाली मशीनगन, लाइट मशीन गन, सेना की संचार सेवा से जुड़े आधुनिक उपकरण वगैरह भी देखने को मिलेंगे। नेवी (जल सेना) द्वारा शो में सिर्फ समुद्री सीमा की निगरानी में इस्तेमाल होने वाली सेल वोट के साथ दो वाटर स्कूटर को प्रदर्शित किया जाएगा।


28 तक फाइनल हो जाएगा ले-आउट



डीएम ने बताया कि सेना व एचएएल की तरफ से रिवर फ्रंट साइट शो में प्रदर्शित किए जाने वाले साजो-समान की सूची की जानकारी दे दी गई है। अब इसके बाद सीडीओ की अध्यक्षता में गठित कोर कमेटी पूरे आयोजन स्थल का अंतिम लेआउट तैयार कराने में जुट गई है। इसे 28 नवंबर तक अंतिम तौर पर पूरा कर सौंपा जाएगा। इसके आधार पर ही रिवर फ्रंट साइट के शो स्थल पर सभी इंतजाम सुनिश्चित कराने का कार्य शुरू होगा।
आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी से हटा एसडीआरएफ
रिवर फ्रंट स्थल पर आयोजित होने वाले डिफेंस एक्सपो शो के दौरान आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी सीधे तौर पर एनडीआरएफ व पीएसी की बाढ़ नियंत्रण इकाई के जवान संभालेंगे। रक्षा मंत्रालय की आपत्ति के बाद एसडीआरएफ को फिलहाल आपदा प्रबंधन के कार्य से किनारे कर दिया गया है। एसडीआरएफ के पास आपदा प्रबंधन से निपटने को पर्याप्त मात्रा में उपकरण व संसाधन न होने के कारण ही आपदा प्रबंधन के कार्य से पीएसी की बाढ़ नियंत्रण इकाई को सीधे तौर पर जोड़ा गया है।