सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों का बेहाल है हाल, 22 वर्षों से नहीं बढ़ी फीस, संसाधन हो गए कम
22 सालों से फीस बढ़ोतरी न होने से शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो चुकी है। इन स्कूलों में न तो कभी सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और न ही छात्रों को प्रयोगात्मक ज्ञान दिया जाता है। शिक्षक भी पुराने ढर्रे पर ही पढ़ाई करवा रहे हैं। संसाधनों के अभाव में यहां के छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
सेल्फ फाइनेंस कॉलेज में संचालित बीए, बीएसी, बीकॉम, एमए, एमएससी और एमकॉम की फीस शासन ने वर्ष 1997 के बाद से नहीं बढ़ाई है। 1997 में भी बीकॉम की फीस करीब पांच हजार रुपये सालाना थी और वर्ष 2019 में भी पांच हजार ही है

श्री शक्ति डिग्री कॉलेज और स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के विनय त्रिवेदी ने बताया कि 22 सालों में शिक्षकों का वेतन बढ़ा, डिग्री कॉलेज भी बने पर फीस वृद्धि नहीं हुई। ऐसे में अच्छे शिक्षकों को स्कूल प्रबंधन पर्याप्त बजट न होने के कारण हायर नहीं कर पाता।
जगवंत सिंह भदौरिया इंटर कॉलेज के डॉ. बृजेश भदौरिया ने कहा कि फीस न बढ़ने से शिक्षा व्यवस्था काफी प्रभावित हुई है।



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