वकालत के लिए वकीलों को अब लेनी होगी ट्रेनिंग
बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने विधि व्यवसाय में सुधार के लिए कड़े कदम उठाने का लिया निर्णय
प्रयागराज। विधि व्यवसाय का स्तर सुधारने के लिए बार कौंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने कई कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब अदालतों में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों को पांच साल तक नियमित प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। इसी तरह से हाईकोर्ट में वकालत के लिए दो साल तक जिला अदालत में और सुप्रीमकोर्ट में प्रैक्टिस के लिए दो साल तक हाईकोर्ट में वकालत का अनुभव लेना अनिवार्य होगा।
बीसीआई अधिवक्ता संघ भी गलत लोगों का प्रवेश रोकने के लिए कड़े उपाय पर विचार कर रहा है। नियमित वकालत नहीं करने वाले लोग बार एसोसिएशन या बार कौंसिल का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र ने इस आशय की विज्ञप्ति जारी करते हुए इन सुधारों पर मार्च 2020 से अमल होने की उम्मीद जताई है। इससे पूर्व जनवरी 2020 में सभी बार कौंसिल के प्रतिनिधियों की बैठक में सुधारों पर अंतिम मुहर लगेगी।
बीसीआई द्वारा प्रस्तावित सुधारों के तहत हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट में वकालत के लिए उससे नीचे की अदालत मेें कम से कम दो वर्ष की वकालत का अनुभव अनिवार्य होगा। इसके लिए अनुभव प्रमाणपत्र कम से कम 15 वर्ष की वकालत के अनुभव वाले अधिवक्ता द्वारा जारी किया जाएगा। कोई भी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन बिना अनुभव प्रमाणपत्र के वकील को सदस्यता नहीं देगा। इसी प्रकार से सुप्रीमकोर्ट में वकालत के लिए अनुभव प्रमाणपत्र संबंधित हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और हाईकोर्ट के महानिबंधक द्वारा जारी किया जाएगा। प्रमाणपत्र का फार्मेट बीसीआई तय करेगा।
सिटिंग और रिटायर्ड जज देंगे प्रशिक्षण
बीसीआई ने विधि व्यवसाय की गुणवत्ता में सुधार के लिए दस वर्ष तक की प्र्रैक्टिस वाले वकीलों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। प्रशिक्षण सिटिंग और रिटायर्ड जज, वरिष्ठ और अनुभवी अधिवक्ताओं द्वारा दिया जाएगा। प्रशिक्षण की व्यवस्था राज्योें के बार कौंसिल द्वारा की जाएगी। यह निशुल्क होगा और पांच वर्ष में न्यूनतम 40 दिन का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। इसमें भाग लेने वाले वकीलोें को बीसीआई प्रमाणपत्र देगा जो उनको वकालत जारी रखने के लिए अनिवार्य होगा।
जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की करेंगे मांग
बीसीआई सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति आयु 70 और 67 वर्ष करने की सरकार से मांग करेगा। यदि ऐसा होता है तो कौंसिल यह भी सुनिश्चित करेगा कि जजों को रिटायरमेंट के बाद आयोगों, अधिकरणों, बोर्डों आदि में नियुक्त न किया जाए, बल्कि यह पद योग्य अधिवक्ताओं को दिए जाएं। यह भी सभी प्रस्ताव जनवरी 2020 में होने वाले बीसीआई के संयुक्त अधिवेशन में रखे जाएंगे। प्रस्ताव पारित होने के बाद मार्च 2020 से इसे लागू किए जाने की उम्मीद है।
चुनाव में होगा सुधार, जनवरी तक चुनावों पर रोक
अधिवक्ता संघों में गैर व्यवसायिक वकीलों की बढ़ती घुसपैठ के मद्देनजर बीसीआई व्यापक चुनाव सुधार पर विचार कर रहा है। इसके तहत व्यवसाय न करने वाले और आपराधिक छवि वाले वकीलों को चुनाव लड़ने से रोका जाएगा। इस आशय का प्रस्ताव जनवरी 2020 की बैठक में पास होगा। बार कौंसिल ने सभी अधिवक्ता संघों को जनवरी तक चुनाव नहीं कराने का निर्देश दिया है।