आठ साल बाद दर्ज हुआ पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा
प्रयागराज। सीजेएम गाजीपुर के आदेश पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) बृजलाल, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गाजीपुर मनोज और तीन अन्य पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज होने में आठ साल लग गए। मुकदमा तब दर्ज किया गया, जब वादी बृजेंद्र सिंह यादव ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की। याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से बताया गया कि सीजेएम गाजीपुर के 12 सितंबर 2011 के आदेश पर 27 नवंबर 2019 को मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने कहा कि अधिकारियों की ओर से स्पष्ट रूप से जानबूझकर अदालत के आदेश की अवमानना की गई है। रिकार्ड से प्रथम दृष्टया अवमानना का केस बनता है। महाधिवक्ता ने कोर्ट ने इस मामले में कुछ समय मांगा है, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 12 दिसंबर 2019 की तिथि नियत की है। इसके अलावा कोर्ट ने वर्तमान डीजीपी और एसएसपी गाजीपुर से स्पष्टीकरण मांगा है।
मामले के अनुसार पुलिस विभाग में रक्षक कल्याण ट्रस्ट की स्थापना करने वाले बृजेंद्र सिंह यादव ने सीजेएम गाजीपुर की अदालत में 156(3) सीआरपीसी के तहत परिवाद दाखिल कर मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की थी। आरोप था कि तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) बृजलाल और अन्य अधिकारियों ने अपंजीकृत समिति बनाकर पुलिसकर्मियों के वेतन से अवैध कटौती की है और यह रकम काफी बड़ी है। सीजेएम गाजीपुर ने पुलिस को इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में भी याचिकाएं खारिज हो गईं, इसके बावजूद मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो अवमानना याचिका दाखिल की गई।